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Showing posts from April, 2024

एक तीसमार खां ऐसा भी

तीसमार खां को लेकर कहानी है कि वह एक गरीब परिवार से था और उसके परिवार में एक बूढ़ी मां थी। बेटा जब बड़ा हुआ, तो मां ने बेटे को कुछ काम की तलाश करने के लिए कहा। इस पर बेटा राजी हो गया और शहर के लिए निकलने की कही।  मां ने रास्ते में खाने के लिए बेटे को चार मीठे परांठे दिए। बेटा थोड़ी दूर चला और उसे भूख लग गई। रास्ते में बेटे ने परांठे खाने शुरू किए, तो उसके पास मधुमक्खियां पहुंच गईं। इस पर बेटे ने मधुमक्खियों को मार दिया। जब उसने मधुमक्खियों की गिनती की, तो वह 30 निकलीं। इस पर उसने अपना नाम तीसमार खां रखा। इसके बाद वह शहर में पहुंचा, तो उसने एक दुकानदार को बताया कि उसने 30 लोगों को युद्ध में मार गिराया है। दुकानदार ने उसकी कद-काठी देखी, तो उसने विश्वास कर लिया और यह बात राजा तक पहुंच गई। कुछ ही देर में शहर में एक शेर के पहुंचने की खबर फैल गई और लोग डरने लगे। राजा ने तीसमार खां को अपने दरबार में बुलाया और उसकी वीरता की प्रशंसा करते हुए शेर को पकड़ने के लिए कहा। इस पर तीसमार खां एक बंदूक के साथ शेर को पकड़ने के लिए निकल पड़ा। हालांकि, वह डरा हुआ था। तीसमार खां थोड़ी दूर पहुंचा, तो उस...

अंधभक्त का इलाज

मैंने अंधभक्तों के इलाज के लिए एक छोटा सा अस्पताल खोला ही था कि एक अंधभक्त बड़ी आस के लिए मेरे पास आया और उसने अपने अंधभक्ति के पिटारे से बिना गाली गलौज या अपशब्दों का इस्तेमाल किये कुछ प्रश्न पूछे। मुझे लगा मामला सीरियस नहीं है बस थोड़ा भटका हुआ है इसलिए इसको दिशा दिखाना चाहिए और मैंने इसी उम्मीद में इलाज के लिए उसे अपनी उंगली पकड़ा दी और कुछ दवाइयां दी। लेकिन दवा खाकर थोड़ी ही देर में वो विचलित हो गया और जनरल वार्ड (पब्लिक पोस्ट) में इलाज कराने से मना करने लगने लगा वो बोला मेरी बीमारी सबके सामने मत बताओ और मुझसे प्राइवेट वार्ड (पर्सनल मैसेज) में भर्ती करने को बोलने लगा। मुझे लगा अपनी बीमारी का इलाज जानकर थोड़ा घबरा सा गया है इसलिए मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिये कहा कि अगर आपका इलाज सबके सामने जनरल वार्ड में हुआ तो आपकी जैसी बीमारी वाले कई और लोगों को ये देखकर इलाज कराने की हिम्मत आएगी और आप उनके हीरो बन जाओगे। लेकिन वो इलाज से बचने के लिए और प्राइवेट वार्ड में जाने के लिए मेरी तारीफ करने लगा तो मैंने बोला मैं चवन्नी नहीं जो अपनी बात से मुकर जाऊं और मेरे इलाज से मरीज के सही होने की ...

क्या Indian Cricket Team एक प्राइवेट टीम है?

BCCI कोई राष्ट्रीय खेल संस्था नहीं है और न ही कोई खेल महासंघ है जो खेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है। वास्तविकता यह है कि BCCI को तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत चैरिटेबल संगठन के रूप में पंजीकृत किया गया था। BCCI एक निजी संगठन है जिसे भारतीय स्पोर्ट फेडरेशन या भारत सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता है । फिर भी भारतीय टीम पूरे भारत का प्रतिनिधित्व इसलिए करती है क्योंकि भारत सरकार इसे बिना किसी शिकायत के स्वीकार करने के लिए तैयार है। अगर आप बाउंड्री और विकेट रीप्ले से पहले ग्राफिक्स देखेंगे या मैदान पर देखेंगे तो आपको देश का झंडा नहीं बल्कि BCCI का Logo दिखेगा। यहां तक कि खिलाड़ियों की जर्सी पर भी BCCI का Logo ही होता है। हम राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग केवल ICC टूर्नामेंट के दौरान करते हैं जब हम राष्ट्रगान गाते हैं और जीतने पर राष्ट्रीय ध्वज लहराते हैं।  अब आइये जानते हैं BCCI के भारतीय क्रिकेट के आधिकारिक प्रतिनिधि बनने के पीछे की कहानी। जब भारत को पूर्ण सदस्य के रूप में चुना गया तो विश्व मंच पर भारत से एक प्रतिनिधि की आवश्यकता महसूस हुई और ये कहा गया कि भारतीय क्रिकेट का अस्थायी दर...

देश की रेल या पब्लिक का रेला

आज हमारे देश में ऐसा विकास हो रहा है जिसकी 85% लोगों को भी जरूरत नहीं है। अब देश‌ के ट्रेन नेटवर्क और उसके संचालन को ही देख लीजिए। हमारी जरूरत है कि ट्रेनों में आराम से रिजर्वेशन और सीट मिल जाए तथा ट्रेन समय से चले  लेकिन मोदी जी ने ट्रेन संचालन को सुधारने की जगह फालतू का खर्चा बढ़ाकर देश को नई वंदेभारत ट्रेन दे दी और अब बुलेट ट्रेन की भी बात कर रहे हैं। अरे कोई मोदीजी को बताए कि अमीरों के पास देश का 85% पैसा है तो इसका मतलब ये नहीं कि अमीरों की जरूरतों के हिसाब से ही सुविधाएं नहीं देनी हैं,  भारत में 85% जनता गरीब और मध्यम वर्ग है तो उनके हिसाब से काम करिये ना क्योंकि उनका वोट ही जीत का अन्तर बनता है। हमारा मौजूदा ट्रेन नेटवर्क पहले से ही काफी बड़ा है, केवल ट्रेन रूट को और मजबूत तथा ट्रेन शेड्यूल को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की जरूरत है। हमारी मौजूदा ट्रेन अगर पूरी क्षमता से और समय पर चले तो वंदेभारत से भी कम समय में हम वो दूरी तय कर सकते हैं। मेल 80-100 किमी/घंटा की गति से चल सकती है लेकिन 40-50 किमी/घंटा से ज्यादा तेज नहीं चलती। शताब्दी और राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें भ...

अंधभक्तों की सेना

हमारे प्रगतिशील विचारों वाले मोदीजी ने अंधभक्तों की एक ऐसी नई फौज तैयार कर दी है जो देश को आगे ले जाने की जगह 1947 की बात करके कमियां गिनाते हैं। • मंडल की बात करो तो मंडल पर जवाब देते हैं, • बेरोजगारी की बात करो तो पाकिस्तान की जीडीपी गिनाते हैं, • सरकार की नीतियों पर प्रश्न करो तो देशद्रोही बताते हैं, • सैनिकों पर रक्षा खर्च देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बताते हैं, • प्रशासनिक अधिकारी नौकरी छोड़ वीआरएस लेकर राजनीति में आ रहे हैं लेकिन देश की रक्षा करने वाले और भारत माता को सैल्यूट करने वाले जवानों को सरकार 4 वर्षों में ही जबरदस्ती वीआरएस देकर अमीरों की संस्थाओं में प्रशिक्षित सिक्योरिटी गार्ड बनकर उनको सैल्यूट करने के लिए मजबूर कर रही है। • पड़ोस में हो रहे मजबूर पर अत्याचार को भी ये भक्तसेना धर्म के चश्मे से देखती है और उसको रोकने की जगह बाबा के चमत्कार करने का इंतज़ार करती है वैसे सारी गलती इन अंधभक्तों की भी नहीं है क्योंकि बीजेपी ने छात्रों के सिलेबस से लेकर मीडिया के एजेंडा तक सब कुछ अपनी नीतियों और सहूलियत के हिसाब से बदल दिया है।

मोदी वाले अच्छे दिन

अच्छे दिनों का वादा करके सत्ता में आये मोदी शाह, भ्रष्टाचारी सब नेक हो गये चौकीदार हो गया तानाशाह। काला धन लाते लाते वो सारा देश ही काला कर बैठे, धर्मवोट के लालच में देश बदलते बदलते संविधान बदल बैठे। चारों तरफ बेरोजगारी, भुखमरी और महंगाई है घनघोर, हर तरफ दिनों दिन बढ़ रहा है काले धन का जोर। मन उनका है मैला लेकिन भाषण बड़े हैं लच्छेदार, अभी बनाया था जो नया पुल उसमें भी पड़ गई दरार। महंगाई ने हमें रूलाया हो गये सारे सपने फेल, पंख लग गये हों जैसे ऐसे उड़ रहे दाल आटा और तेल। अब प्रजातंत्र के पेड़ पर, गिद्ध सियारों का कब्जा हो गया, देश को विश्वगुरु बनाने का बोला फिर चंदा खाकर सो गया।

फूल लाया वो कमल का

 फूल लाया वो कमल का बताओ क्या करूं इसका, चौकीदार जो बनकर चोर आये तो क्या करूं उसका। राम नाम की आड़ में वो देश में कर रहे लूटम लूट, जनता जैसे धृतराष्ट्र बन गयी दिलों में डाले फूट। क्या पसारना चाहते हो फिर हाथ अपना सरकार के सामने, अगर बदलना है नसीब तो अब चलो सब चलें पंजा थमाने।        जो करी थी दो बार भूल वो भूल अब भूल जाओ, सब जागो चलो और मिलकर अब साथ आ जाओ। है वजन अभी भी एक उंगली का बहुत समझो ना हल्का, फूल लाया वो कमल का बताओ क्या करूं इसका।

सियासती इश्क और वो नन्ही आँखे

आंसू जाया ना हो जाए ये सोंचकर रोती नहीं थी मैं, लेकिन मणिपुर पर तेरी चुप्पी ने मेरे गाल गीले कर दिये। दुख जिनपर बेशुमार गुजरे उन नन्हीं आंखों का कसूर क्या था, वो बांट जोहते रहे तुम्हारी लेकिन तुम्हें मिलना भी मंजूर ना था। उड़ने की चाहत लिये वो नन्हीं आंखें अब सपने देखना भूल गई, कांपती है रूह अब दीया जलाने पर कि आग ना लग जाए कहीं। सियासती इश्क भी अजीब है जो उनको बस एक वोट समझता है, जब तक जिंदा थे कदर न की और अब मरने पर खैरियत पूछता है। बस बहुत हुआ ये खेल तुम्हारा देखोगे अब कलम के गुस्से को, अब ये देश करेगा इन्साफ तुम्हारा सुन इस मणिपुर के किस्से को।

अब्दुल की लक्ष्मी माता

 हम जलाते रहे दिए लक्ष्मी माता तुम्हें बुलाने को, और अब्दुल बिन दिया जलाये ही अमीर हो गया। रहीम ने दुआएं मांगी जा जाकर मजारों पर, हमने बस मन में नाम लिया और बेड़ा पार हो गया। अगर लक्ष्मी जी सिर्फ हिंदुओं की सुनती तो शेख अमीर न होते, और अगर चादर ओढ़ाकर ही अल्लाह सुनता तो लाशों पर कफन‌ न होते।

कैसा ये अमृतकाल

अमृतकाल...........अमृतकाल.................क्या है अमृतकाल? अंधभक्त सेना कभी पूछा है मोदी से आखिर क्या है अमृतकाल? मणिपुर में जो लाचार बेटियों के साथ हुआ वो है अमृतकाल? दिल्ली में जो महिला पहलवानों में साथ हुआ वो है अमृतकाल? पीएमकेयर में जनता के पैसों को उनसे ही छिपाना है अमृतकाल? चुनावीबांड के नाम पर डोनेशन लेकर टेंडर देना है अमृतकाल? दागियों और बागियों को हमारा प्रतिनिधि बनाना है अमृतकाल? मोदी के जुमलों को दरकिनार कर संविधान बचाने जा रही हूं मैं गोदी मीडिया के एजेंडा को तोड़कर पर्दाफाश करने जा रही हूं मैं देश को बचाने के लिए हिटलरशाही सरकार से लड़ने जा रही हूं मैं मेरे साथ आयेगा कौन...............…..........मेरा साथ देगा कौन? अमृतकाल...........अमृतकाल.................क्या है अमृतकाल? अंधभक्त सेना कभी पूछा है मोदी से आखिर क्या है अमृतकाल? मणिपुर में जो लाचार बेटियों के साथ हुआ वो है अमृतकाल? दिल्ली में जो महिला पहलवानों में साथ हुआ वो है अमृतकाल? PMcare में जनता के पैसों को उनसे ही छिपाना है अमृतकाल? चुनावीबांड के नाम पर डोनेशन लेकर टेंडर देना है अमृतकाल? दागियों और बागियों को हमारा प्...

देश‌ के वासी

 इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा जिस देश को मिलकर अंग्रेजों से छुड़ाया उस देश को फिर तानाशाही ने गुलाम बनाया इस धर्म के खेल ने भाई-भाई को दुश्मन बनाया सच्चाई के जज्बे को फिर से झूठ और बेवफाई ने दबाया गरीब और किसान रो रोकर मांगे है दुहाई फिर भी उस राजा को तनिक दया न आई जिस देश के लिए सर जवानो ने कटाए उस देश में राजनीति ने घर बार जलाये अब कहलाएगा वही धरती मां का दुलारा जो हंसकर पी जाएगा नफ़रत का जहर ये सारा इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा इज्जत लूटने वाला यहां ताकत के नशे में मगरूर फिर भी कानून है खामोश यहां इन्साफ भी मजबूर हर तरफ़ मची लूट है और रिश्वत ही देती दिखाई कमजोर का यहां कोई नहीं, सब सत्ता के हैं भाई इंसान है मजबूर यहां घर चलायें कैसे बेचारा बेरोजगारी का ये आलम है अमीरों का रचा खेल सारा हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा मोहब्बत से झुकाएँगे उन्हें बनके सबकी आँखों का तारा लाएँगे सबके चेहरे पर खुशियों भरा नूर दोबारा नफ़रत न हो जहां न लुटे किसी की अस्मत दोबारा सब मिलकर...

कलम का कागज से पंगा

आज कलम का कागज से मैं पंगा करने वाली हूँ, गोदी मीडिया की सच्चाई को मैं नंगा करने वाली हूँ। जिसको इस देश के लोकतंत्र का चौथा खंभा होना था, खबरों के गहरे समंदर में जिसको पावन गंगा होना था। आज वही दिखता है हमको दलाली के किरदारों में, चंद रूपयों को बिकने खड़ा है गली चौक चौबारों में। अगर दाल में काला होता है तो तुम काली दाल दिखाते हो, पत्रकारिता ताक पर रखके खबरों का स्तर क्यों गिराते हो। किसानों की आवाज दबा तुम साहब का महिमा मंडन करते हो, युवाओं के आंसू नहीं दिखते सत्ता के चरणों का चुम्बन करते हो। हिन्दू कोई अत्याचार करें तो घर का मसला कहते हो, वहीं मुसलमान करे तो उसको मानवता पे हमला कहते हो। लोकतंत्र और देश की लाज पर तुमने कैसा मारा चाटा है, सबसे ज्यादा तुम जैसों ने ही इस देश को धर्मों में बाँटा है। सत्तर साल की आजादी को तुम देश पर लूट बताते हो, गोडसे और सावरकर जैसों को भारत का गौरव बतलाते हो। धरने पर बैठी बेटियां नहीं दिखती हैं लेकिन कंगना दिख जाती है, मणिपुर की नग्नता न दिखती पर बुर्क में राजनीति दिख जाती है। बस बहुत हुई न्यूज तुम्हारी समझ गये हम खेल तुम्हारा गंदा है, तुम जैसे मीडिया और ...

बुरा न मानो होली है

देश लूटकर रंग बदलने की कला में निपुण एक नेता जी, नौकरी के झूठे वादों से निराश बेरोजगारों की भीड़ में चुनावी योजनाओं का रंग लेकर होली खेलने के लिए शरीक हो गए तभी उस भीड़ से एक युवा बोला नेता जी हम भावनाओं से नहीं प्यार के रंगों से होली खेलते हैं उसी बीच किसी ने पास पड़ा गोबर उठाया और बड़े प्यार से नेता जी के चेहरे पर लगाया और बोला नेता जी इस चुनावी मौसम को देखकर ही आपकी नियत डोली है आइए आपको अंधभक्ति का रंग लगा दूं क्योंकि बुरा ना मानो होली है