क्या Indian Cricket Team एक प्राइवेट टीम है?
BCCI कोई राष्ट्रीय खेल संस्था नहीं है और न ही कोई खेल महासंघ है जो खेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है। वास्तविकता यह है कि BCCI को तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत चैरिटेबल संगठन के रूप में पंजीकृत किया गया था।
BCCI एक निजी संगठन है जिसे भारतीय स्पोर्ट फेडरेशन या भारत सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता है ।
फिर भी भारतीय टीम पूरे भारत का प्रतिनिधित्व इसलिए करती है क्योंकि भारत सरकार इसे बिना किसी शिकायत के स्वीकार करने के लिए तैयार है।
अगर आप बाउंड्री और विकेट रीप्ले से पहले ग्राफिक्स देखेंगे या मैदान पर देखेंगे तो आपको देश का झंडा नहीं बल्कि BCCI का Logo दिखेगा। यहां तक कि खिलाड़ियों की जर्सी पर भी BCCI का Logo ही होता है।
हम राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग केवल ICC टूर्नामेंट के दौरान करते हैं जब हम राष्ट्रगान गाते हैं और जीतने पर राष्ट्रीय ध्वज लहराते हैं।
अब आइये जानते हैं BCCI के भारतीय क्रिकेट के आधिकारिक प्रतिनिधि बनने के पीछे की कहानी।
जब भारत को पूर्ण सदस्य के रूप में चुना गया तो विश्व मंच पर भारत से एक प्रतिनिधि की आवश्यकता महसूस हुई और ये कहा गया कि भारतीय क्रिकेट का अस्थायी दर्जा तभी रद्द किया जाएगा जब भारत के पास एक ऐसी संस्था होगी जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करेगी और आईसीसी का पूर्ण सदस्य होगी।
तब पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह, जो उस समय भारत के बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक थे और अपनी राजसी पृष्ठभूमि के कारण, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में कुछ भूमिका निभाते थे, ने विभिन्न भारतीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई, जिनकी अपनी अनौपचारिक क्रिकेट टीमें थीं, सिंध, राजपूताना, अलवर, पटियाला, दिल्ली, संयुक्त प्रांत, मध्य भारत, बड़ौदा इत्यादि।
जब ये प्रतिनिधि मिले, तो वे एक ऐसा बोर्ड बनाने पर सहमत हुए जो ICC में भारत का प्रतिनिधित्व कर सके। इसके फलस्वरूप 1928 में BCCI का गठन हुआ ।
ICC केवल BCCI को भारतीय प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देता है, जो BCCI को लीगल बनाता है। इसलिए जब तक BCCI आईसीसी में भारत का प्रतिनिधित्व करता है, टीम इंडिया टैग का कॉपीराइट BCCI के पास रहेगा और भारत सरकार चाहकर भी इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती है।
लेकिन भविष्य में ICC अगर आचार संहिता के कुछ उल्लंघन के कारण BCCI को अलग करने का निर्णय लेती है, तो उस समय केवल भारत सरकार ही इसमें कदम उठा सकती है और अपनी क्रिकेट टीम ला सकती है।
ठीक ऐसा ही अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के साथ हुआ जब उन्होंने भारतीय हॉकी महासंघ को अस्वीकार कर दिया, और भारतीय खेल मंत्रालय ने हॉकी इंडिया बनाने और इसे खेल मंत्रालय के तहत लाने के लिए अपना रास्ता बनाया।
लेकिन क्या ICC और BCCI के बीच ऐसा कुछ होगा? शायद नहीं।
2023-2024 में, BCCI ने ₹ 16,875 करोड़ कमाए और वर्ष 2022-23 के लिए टैक्स में ₹ 4,000 करोड़ का भुगतान किया।
BCCI जितना पैसा देश में या ICC के लिए लाता है वो देखकर तो नहीं लगता कि भारत सरकार या ICC कोई action लेंगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली एक संस्था ऐसे खिलाड़ियों का चयन कैसे कर सकती है जो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे?
मेरा मानना है कि एक गैर-सरकारी संस्था क्रिकेट को संभाल रही है और सरकार लाने से यह राजनीति बन जाएगी हालांकि ऐसा नहीं है कि वहां पहले से राजनीति नहीं है।
फर्क सिर्फ इतना होगा कि सरकार के आने से पैसे का इस्तेमाल व्यवस्थित हो जाएगा और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित मोटी सैलरी वाले खिलाड़ी और IPL जैसे टूर्नामेंट होंगे।
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