एक तीसमार खां ऐसा भी

तीसमार खां को लेकर कहानी है कि वह एक गरीब परिवार से था और उसके परिवार में एक बूढ़ी मां थी। बेटा जब बड़ा हुआ, तो मां ने बेटे को कुछ काम की तलाश करने के लिए कहा। इस पर बेटा राजी हो गया और शहर के लिए निकलने की कही। 

मां ने रास्ते में खाने के लिए बेटे को चार मीठे परांठे दिए। बेटा थोड़ी दूर चला और उसे भूख लग गई। रास्ते में बेटे ने परांठे खाने शुरू किए, तो उसके पास मधुमक्खियां पहुंच गईं। इस पर बेटे ने मधुमक्खियों को मार दिया। जब उसने मधुमक्खियों की गिनती की, तो वह 30 निकलीं। इस पर उसने अपना नाम तीसमार खां रखा।

इसके बाद वह शहर में पहुंचा, तो उसने एक दुकानदार को बताया कि उसने 30 लोगों को युद्ध में मार गिराया है। दुकानदार ने उसकी कद-काठी देखी, तो उसने विश्वास कर लिया और यह बात राजा तक पहुंच गई।

कुछ ही देर में शहर में एक शेर के पहुंचने की खबर फैल गई और लोग डरने लगे। राजा ने तीसमार खां को अपने दरबार में बुलाया और उसकी वीरता की प्रशंसा करते हुए शेर को पकड़ने के लिए कहा। इस पर तीसमार खां एक बंदूक के साथ शेर को पकड़ने के लिए निकल पड़ा। हालांकि, वह डरा हुआ था।

तीसमार खां थोड़ी दूर पहुंचा, तो उसने देखा कि बारिश में एक कुम्हार अपनी मटकियों को जल्दी से अंदर कर रहा था। इस पर तीसमार खां ने कुम्हार से कहा कि शेर आया है, जल्दी अंदर चले जाओ, लेकिन कुम्हार का जवाब था उसे शेर से नहीं, बल्कि टपके से डर लगता है।

ऐसे में झोपड़ी के पीछे मौजूद शेर ने यह बात सुन ली और शेर ने समझा कि टपका उससे बड़ा कोई जानवर है। वहींं, तीसमार खां ने शेर को पकड़कर राजा के दरबार में पेश कर दिया। राजा ने अंजान होते हुए उसे वीर समझा और उसे सेनापति बना दिया। इससे तीस मार खां बहुत खुश हुआ। 

एक दिन किले पर दुश्मनों का आक्रमण हुआ और तीसमार खां को आगे किया गया। हालांकि, तीसमार खां को घुड़सवारी नहीं आती थी। ऐसे में उसने खुद को घोड़े से बांध लिया। घोड़े न जब युद्ध में दौड़ लगाना शुरू की, तो बीच में एक गड्ढा पड़ा, जिससे तीसमार खां डर गया और उसने पेड़ पकड़ लिया, लेकिन तीसमार खां के घोड़े से बंधे होने के कारण पेड़ उखड़ गया, जिससे दुश्मनों को लगा कि तीसमार खां काफी बलवान है, जिसने पेड़ को उखाड़ दिया और वे पीछे हट गए और तीसमार खां वीर साबित हुआ। हालांकि, उसे पता था कि उसने कुछ नहीं किया।

ऐसे में तीसमार खां हमेशा अपनी गलतियों से विजय प्राप्त करने के लिए जाना जाने लगा और उसे गलतियों का सम्राट कहा जाने लगा। हालांकि, यह कहानी कितनी सच है, इसे लेकर कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन भारत में ये लोककथा प्रचलित है। 

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