देश‌ के वासी

 इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा

हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा

जिस देश को मिलकर अंग्रेजों से छुड़ाया

उस देश को फिर तानाशाही ने गुलाम बनाया

इस धर्म के खेल ने भाई-भाई को दुश्मन बनाया

सच्चाई के जज्बे को फिर से झूठ और बेवफाई ने दबाया

गरीब और किसान रो रोकर मांगे है दुहाई

फिर भी उस राजा को तनिक दया न आई

जिस देश के लिए सर जवानो ने कटाए

उस देश में राजनीति ने घर बार जलाये

अब कहलाएगा वही धरती मां का दुलारा

जो हंसकर पी जाएगा नफ़रत का जहर ये सारा

इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा

हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा

इज्जत लूटने वाला यहां ताकत के नशे में मगरूर

फिर भी कानून है खामोश यहां इन्साफ भी मजबूर

हर तरफ़ मची लूट है और रिश्वत ही देती दिखाई

कमजोर का यहां कोई नहीं, सब सत्ता के हैं भाई

इंसान है मजबूर यहां घर चलायें कैसे बेचारा

बेरोजगारी का ये आलम है अमीरों का रचा खेल सारा

हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा

इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा

मोहब्बत से झुकाएँगे उन्हें बनके सबकी आँखों का तारा

लाएँगे सबके चेहरे पर खुशियों भरा नूर दोबारा

नफ़रत न हो जहां न लुटे किसी की अस्मत दोबारा

सब मिलकर फिर से बनायेंगे वही देश प्यारा

इस देश के वासी अगर दें साथ हमारा

हम मिल के बदल सकते हैं हालात ये सारा

Comments

Popular posts from this blog

समाज के क्रान्ति कुमार 🙏

मील का पत्थर

नज़र का नजरिया