बेरोजगारी भत्ता बेहतर या अग्निवीर भर्ती ❓
शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 1000 रूपए बेरोजगारी भत्ते की भीख देने की जगह सरकारी महकमों में अग्निवीर योजना ही ले आए सरकारें। इससे कम से कम 4-5 साल तक सिर उठाकर गर्व से रोजी-रोटी तो कमाकर खाएगा बिहार का युवा।
इस बेरोजगारी भत्ते से ज्यादा रूपए तो मंदिर के पुजारी और मस्जिद के इमाम को दे देती है राज्य सरकारें और ये राशि 5 हजार से लेकर 90 हजार तक है तथा भत्ता 2000 से 5000 तक अलग से।
तो आखिरकार क्या चाहती है सरकार कि समाज में युवा पढ़ाई-लिखाई और टेक्नोलॉजी प्रशिक्षण छोड़कर पुजारी और इमाम बनें?
केंद्र और राज्य सरकारें जितना पैसा चुनावी घोषणाओं के तहत शिक्षित बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने में खर्च करती है उसकी जगह सरकारें अगर इन युवाओं को उनकी काबिलियत के हिसाब से सेना वाली अग्निवीर योजना की तर्ज पर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दे दे तो इससे सरकारी विभागों में कर्मचारियों की कमी पूरी हो जाएगी और सरकार पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा।
इसके साथ ही साथ Skill India program के तहत शिक्षित बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने के लिए सरकार पर हर वर्ष पड़ने वाला 8-10 हजार करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी कम हो जाएगा और वो बजट इन कांट्रैचुअल अग्निवीरों को सैलरी देने के काम आ जाएगा।
लेकिन हां, सरकार यह भी ध्यान रखें कि इस अग्निवीर योजना के बहाने वो सरकारी फुलटाइम भर्तियां निकालने में कोई कमी न करे जैसा सरकार ने सेना के साथ किया।
फुलटाइम, कांट्रैक्चुअल और अग्निवीर योजनाओं के तहत होने वाली भर्तियों की सूचना हर वर्ष सार्वजनिक होनी चाहिए।
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