सत्ता का नशा
एसी कमरों में बैठ कलम उठा हुकुम चलाना आसान है
चिलचिलाती धूप में वर्दी पहन दलाली खाना आसान है
चुनाव में हिंदू और मुसलमान का अंतर बताना आसान है
मीडिया का मुर्दे को जिंदा और जिंदा को मुर्दा बताना आसान है
नोट की ताकत से लोकतंत्र की नींव हिलाना आसान है
नेताजी का बातों में सबको उलझा बात बदलना आसान है
अगर ये सब आसान नहीं होता तो युवा बेरोजगार नहीं होता
जवान सड़कों पर नहीं बार्डर पर होता और किसान दिल्ली बार्डर पर नहीं खेतों में होता
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