One Nation One Election - A Conspiracy to Constitution
मुझे लगता है कि One Nation One Election के माध्यम से सरकार चुनावी खर्च से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के बहाने असल में खुद धर्म के नाम पर वोट लेकर बार-बार की चुनावी झंझट और तैयारियों से बचना चाहती है।
One Nation One Election वाले सिस्टम में स्थानीय मुद्दे और राष्ट्रीय मुद्दे सब मिक्स हो जायेंगे। राजनीति की कम जानकारी वाले, अशिक्षित वर्ग या पहली बार मतदान करने वाले मतदाता भ्रमित हो जायेंगे कि वो किस मुद्दे पर किसको वोट कर रहे हैं।
One Nation One Election का सबसे ज्यादा फायदा उस पार्टी को ही होगा जो केंद्र सरकार में होगी क्योंकि सरकार और प्रशासन उनका होगा। और चूंकि आधे से अधिक राज्यों में भाजपा गठबंधन की राज्य सरकारें हैं तो क्षेत्रीय चुनावों में भी केंद्र सरकार का ही प्रभुत्व होगा।
क्षेत्रीय पार्टियों को तो अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी ना किसी राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करना ही पड़ेगा क्योंकि छोटी क्षेत्रीय पार्टियां बड़ा डोनेशन पाने वाली राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के सामने कैसे खड़ी रह पायेंगी?
अब अडानी समर्थित पार्टी या उम्मीदवार के सामने किसी स्थानीय पार्टी या उम्मीदवार का कोई जोर चलेगा क्या?
लोकतंत्र में बार-बार होने वाले चुनाव राजनीतिक दलों को जनता के अधिकारों के प्रति जिम्मेदार बनाते हैं। अगर सारे चुनाव एक साथ हुये तो अगले 5 वर्षों के लिए सरकार में जनता का डर खत्म कर देगा। फिर सरकार 4 वर्षों के लिए तानाशाह की तरह काम करेगी और वे अगला कार्यकाल जीतने के लिए केवल चुनावी वर्ष में रेवड़ियाँ बाँटेंगे।
हाल फिलहाल में ही भाजपा ने लाडली बहन योजना के नाम पर मुद्दों को दबाकर मप्र और महाराष्ट्र को एकतरफा जीत कर विपक्ष की आवाज को ही खत्म कर दिया और बिना विपक्ष की सरकार बनना सिर्फ लोकतंत्र को कमजोर ही करता है।
तो फिर One Nation One Election अगर संविधान खत्म करने की कोशिश नहीं तो और क्या है?
Comments
Post a Comment