100 टन सोना भारत लाने की हकीकत
आरबीआई के अनुसार भारत के कुल सोने के भंडार में से 296.48 टन सोना देश में ही सुरक्षित रखा गया है, जबकि 447.30 टन सोना विदेशी बैंकों के पास सुरक्षित है. इसमें से ज्यादा हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास रखा है, जबकि कुछ टन सोना स्विटजरलैंड स्थित बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) के पास सुरक्षित है
करेंसी एक्सपर्ट एन सुब्रह्मण्यम के अनुसार जो सोना विदेशी बैंकों में रखा हुआ है, जरूरी नहीं कि वो गिरवी ही रखा गया हो।
दुनियाभर के सेंट्रल बैंक पारंपरिक रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास सोना रखते हैं क्योंकि विदेशों में सोना रखने से दूसरे देशों के साथ व्यापार करना आसान होता है। इसके अलावा विदेशों में सोने पर ज्यादा ब्याज मिलता है।
अब चूंकि विदेशों में ज्यादा स्टॉक जमा हो रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का फैसला किया गया।
हमारे देश के भीतर, मुंबई के मिंट रोड पर रिजर्व बैंक ऑफिस की पुरानी बिल्डिंग में सोना रखा जाता है। इसके अलावा पूरी सिक्योरिटी के साथ सोने का स्टोरेज नागपुर में भी वॉल्ट में किया जाता है।
ब्रिटेन से सोना भारत लाने के कारण आरबीआई को स्टॉक कास्ट बचाने में भी मदद मिलेगी जिसका भुगतान हर साल बैंक ऑफ इंग्लैंड को किया जाता है।
अगर दुनिया में सोने के कुल भंडार की बात की जाए तो सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है। अमेरिका ने दुनियाभर के देशों के पास रखे कुल सोने का करीब 75 फीसदी सिर्फ अपने पास सुरक्षित रखा है। एक आंकड़े के मुताबिक अमेरिका के पास 8,133 टन सोना है, जबकि दूसरे पायदान पर मौजूद जर्मनी के पास 3,359 टन सोना है। चीन इस मामले में 1,948 टन सोने के साथ 6वें पायदान पर आता है। सोने के बड़े भंडार वाले टॉप-10 देशों में सिर्फ तीन एशियाई देश ही शामिल हैं।
रिजर्व बैंक के विदेश में सोना रखने के पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला तो ये है कि इतनी बड़ी मात्रा में सोना खरीदकर उसे देश में लाना आसान नहीं होता. इसके परिवहन और सुरक्षा पर काफी ज्यादा खर्चा आता है. इसके अलावा अगर किसी वित्तीय संकट में इस सोने को गिरवी रखने की नौबत आई तो दोबारा इसे विदेश भेजने में काफी खर्च और सुरक्षा तामझाम करना होगा।
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