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Showing posts from May, 2024

100 टन सोना भारत लाने की हकीकत

आरबीआई के अनुसार भारत के कुल सोने के भंडार में से 296.48 टन सोना देश में ही सुरक्षित रखा गया है, जबकि 447.30 टन सोना विदेशी बैंकों के पास सुरक्षित है. इसमें से ज्‍यादा हिस्‍सा बैंक ऑफ इंग्‍लैंड के पास रखा है, जबकि कुछ टन सोना स्विटजरलैंड स्थित बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) के पास सुरक्षित है करेंसी एक्सपर्ट एन सुब्रह्मण्यम के अनुसार जो सोना विदेशी बैंकों में रखा हुआ है, जरूरी नहीं कि वो गिरवी ही रखा गया हो। दुनियाभर के सेंट्रल बैंक पारंपरिक रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास सोना रखते हैं क्योंकि विदेशों में सोना रखने से दूसरे देशों के साथ व्यापार करना आसान होता है। इसके अलावा विदेशों में सोने पर ज्यादा ब्याज मिलता है। अब चूंकि विदेशों में ज्यादा स्टॉक जमा हो रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का फैसला किया गया। हमारे देश के भीतर, मुंबई के मिंट रोड पर रिजर्व बैंक ऑफिस की पुरानी बिल्डिंग में सोना रखा जाता है। इसके अलावा पूरी सिक्योरिटी के साथ सोने का स्टोरेज नागपुर में भी वॉल्ट में किया जाता है। ब्रिटेन से सोना भारत लाने के कारण आरबीआई को स्टॉक कास्ट बचाने में भी मदद मिलेगी जिसका भुगतान हर...

मोदी सरकार के 10 साल और 2024 का चुनावी गणित

मेरे नजरिए से मोदी सरकार की 2014 और 2019 में जीत कोई चमत्कार नहीं थी। 2014 में जनता ने कांग्रेस की मौजूदा सरकार के विरोध में और 2019 में बीजेपी द्वारा गोदी मीडिया से सेट कराये गये नैरेटिव पर वोट किया। 2014 में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की वजह से जनता ने दूसरा विकल्प बीजेपी चुना और सत्ता में आते ही मोदी ने धन, मीडिया और प्रशासन के दम पर विपक्ष को खत्म करने की पूरी कोशिश की। 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी का मकसद दरअसल पूंजीपतियों का काला धन खत्म करना नहीं बल्कि सिर्फ विपक्ष के बेनामी धन का सफाया करना था और बीजेपी अपनी इस रणनीति में सफल भी हुती। नोटबंदी के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पास चुनाव प्रचार के लिए पैसा ही नहीं बचा और बीजेपी ने नोटबंदी के पहले ही अपना सारा काला धन अलग-अलग राज्यों में पार्टी कार्यालय के नाम पर संपत्ति खरीदकर सफेद कर लिया। जिसकी वजह से बीजेपी ने चुनाव प्रचार करने, राहुल गांधी की इमेज खराब करने और कांग्रेस विरोधी नैरेटिव सेट करने में अथाह पैसा खर्च किया। साथ ही साथ मोदी सरकार को पुलवामा के नाम पर भी देश की जनता ने भावुक होकर वोट दिया ...

बीच चुनाव अचानक क्यों शुरू किया मोदी सरकार ने नागरिकता देना?

 आखिर इतनी क्या जल्दी थी गृहमंत्री अमित शाह को कि मोदी सरकार ने बीच चुनाव में ही नागरिकता देने का प्रोसेस शुरू कर दिया? क्या बीजेपी सरकार और अमितशाह को भी सताने लगा है अब हार का डर? क्या अब अमितशाह को देश के वोटर पर भरोसा नहीं रहा जो दूसरे देशों से ला रहे हैं मतदाता? क्या मोदी सरकार ने ये कदम इसलिए उठाया है कि एक बार प्रोसेस शुरू हो गया तो सरकार बदलने पर फिर ये कैंसिल नहीं हो पायेगा? पिछले महीने गृहमंत्री ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो ही वो CAA हटा पाएंगे और अब 4 चरणों की वोटिंग के बाद ही अमित शाह ने जल्दी से CAA कानून के तहत 14 लोगों को नागरिकता दे दी जबकि अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को CAA 2024 पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदनों के एक बैच पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा था और बाद में सरकार की मांग पर अदालत ने मामले को अप्रैल में पोस्ट कर दिया था।