दवा परीक्षणों की अंधेरी दुनिया और भारतीय अस्पताल
बिना जानकारी और सहमति के भारत में गरीबों पर नई दवाओं के परीक्षण किए जाने का मामला नया नहीं है। आज के इस बढ़ते कॉम्पटीशन में दवा निर्माता कम्पनियों पर दबाव है कि वो जल्द से जल्द मार्केट में नयी दवा उतारकर अपने फील्ड में पायनियर हों और इस जुनून का शिकार बेचारे अनपढ़ गरीब बनते हैं। इन लोगों को फ्री इलाज या कुछ पैसों का लालच देकर गुपचुप दवा परीक्षण किये जाते हैं और दवाओं के फेल्ड ट्रायल में लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ती है। बहुत सारे डाक्टर पैसे और शोहरत की लालच में दवा निर्माता कम्पनियों से जुड़कर अस्पतालों के साथ साथ NGO के माध्यम से फ्री हेल्थ कैम्प आर्गनाइज करते हैं और वहां गरीब मरीजों को मुफ्त दवा देने के नाम पर ऐसे ड्रग्स ट्रायल करते हैं। आज मैं आपके साथ मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के महाराज यशवंत राव अस्पताल के ऐसे ही कुछ मामले शेयर कर रही हूं। इस अस्पताल में साल 2012 तक कुल 53 लोगों पर परीक्षण किए गये। ये सारे परीक्षण ब्रिटेन और जर्मनी की दवा कंपनियों की ओर से प्रायोजित थे और इनमें आठ लोगों की मौत हो गई। चंद्रकला को कुछ समय से सीने में दर्द की शिकायत थी जिसके चलते उनके ...